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Gidhaur

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Gidhaur   Gidhaur is a small but ancient town in the Jamui District of Bihar. In the early-modern period, it was the centre of the Gidhaur chieftaincy. In the Ain-i-Akbari, it is mentioned as a mahal of the Sarkar of Bihar.  Here is History of this town Raja Veer Vikram Shah who belong to  Chandel Rajput  Dynasty founded this princely state in 1266 AD, after defeating the local Dusadh King Nagoria, from here he started to expand his kingdom. He was the Younger brother of Raja of Baroli. The Chandel Rajput rulers ruled over Gidhaur for more than six centuries. Raja Puran Mal, ninth in descent of this dynasty is said to have built the  Baidynath Dham temple  at Deoghar in 1596 Perhaps you have heard the name of Deoghar very well currently situated in Jharkhand. Today This City "Deoghar" has become very famous, but people do not even know about the place (Gidhaur) from which the City laid down. The chieftaincy also include in Malda region. Sukhdev Singh the Son of Bikram Singh s
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हाँ पसंद हैं मुझे मुस्कुराना कहते हैं ये मुस्कुरहाट में बहुत से राज़ छिपे हैं..... . . बहुत ही ताकत होती हैं ये मुस्कुरहाट में......... इस मुस्कुरहाट से पूरी ज़िन्दगी खिली हैं मुरझाये से फूल की तरह...... . . किसी भी व्यक्ति को एक नया सबेरा देता हैं ये मुस्कुरहाट बिल्कुल हर सुबह खिली धूप की नयी रोशनी की तरह........ . . ये मुस्कुरहाट हमें एक नयी दिशा दिखाता हैं नदियों में बहती पानी की धारो की तरह..... . . ये मुस्कुरहाट ज़िन्दगी को जीना सिखाता हैं एक उड़ते हूए आजाद पंक्षी की तरह...... #smile #motivationalquotes #hindipoetry #poetry #writers #writercommunity 

Wo chal padi

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अरे देखो, वो फिर चल दी कहीं....... ताकते झांकते रास्ते नापते वो फिर चल दी कहीं.......... चल पड़ी हैं वो फिर से उसी राह पर........ भटकते भटकते चलते चलते जहां उसके सपने उसका राह देख रहे हैं, अरे देखो, वो फिर चल दी कहीं....... कुछ दिनो से उसके मिजाज लग रहे हैं..... बदले बदले खुशनुमा खुशनुमा जैसे उसने सपने को साकार होते देख लिया हैं.......... किसी ने रोक दिया उसे तो हँस पड़ी वो........... रोते रोते विश्वास दिलाकर बहुत रोक लिया हैं मुझे अब मैं छू लूँगी उस आसमान को अपने पंखो से......... बस उड़ने का मौका मिला हैं उड़ने दे .......... तेवर उसके हवाओं में बह रहे हैं वो उफ़ किये बिना चली जा रही हैं......... सबके सोने के बाद वो जागने लगी हैं जुगनु के जैसी वो भी चमकना चाहती हैं जुगनुओं की तरह इस अंधेरो में............. ऐसे अन्दाज वाजीब भी नहीं इस दुनिया के मुताबिक नहीं......... बुन्ने की कोशिश में हैं वो अपनी दुनिया को जो टोके उसे इतना सा वो चल पड़ी हैं आगे ऐसी महफ़िल से....  गुमनाम होकर अकेला रहकर खुश हो रही हैं वो सपने बुनकर ........... अपने ही धुन में खुद
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कभी बोल के कभी लिख के वहां तक पहुचना चाहती हूँ ........ अरमानो के ठेलो से सपनों के वो रास्तो पे जाना चाहती हूँ..... उन सपनो को खुलकर जीना चाहती हूँ .......... सुबह उठ कर सूर्य की रोशनी के साथ, अपनी भी चमक देखना चाहती हूँ.......... हर रोज उस चेहरे पे नयी मुस्कान देखना चाहती हूँ ज़िसे मेरी मुस्कान की हमेशा से ज्यादा परवाह रही हैं........ कभी बोल के कभी लिख के वहां तक पहुचना चाहती हूँ....... शाम के काम के बाद सूर्य की ढ़लती रोशनी के साथ अपनी ज़िन्दगी को नयी रोशनी में पिरोना चाहती हूँ........ ज़िन्दगी को जीने के असली मायेने देना चाहती हूँ........... अपनी ख्वाइशो को नए पंख लगाकर हवाओं में उड़ता देखना चाहती हूँ.......... आँखें खुली हो य़ा झुकी हरेक सपनो को हकीकत देना चाहती हूँ......... माना की कुछ कमियां हैं मेरे पास मेरे अंदर पर इतनी भी नहीं क्यूंकी मैं उन सपनों को सच करना जानती हूँ............... https://instagram.com/dil_e_parinda?igshid=s4qculwmdypg